Saturday, January 1, 2022

आज जिंदगी को जिंदगी से मिलते देखा मेने


आज वह सुबह सूबह जल्दी उठी
शायद उसे इस सुबह का बरसो सें इंतजार था...
उसकी आखें शांत नही थे जैसे इधर उधर नजरे
भाग रही हो और इंतजार कर रही हो की कोई ठहराव लाए...
आज उसकी मुस्कान भी कुछ अलग ही थी
जैसे होठ आपस मे लढाई कर रहे हो...
वो भी इस बात पर की कोई नजर भर चेहरा
देखे तो वजह का अंदाज ना लगा दे....
आज उसको बहूत सुकुन में देखा मैने
वो भी उसके चंचल मन के साथ
उसका हर लफ्ज नाच रहा हो कुछ तरंगो के साथ
बहुत बैचेन सी नजर आ रही थी मुझे वो
तभी मन में खयाल आया की
पूछू उससे की क्या है वजह
फिर ख्याल आपा की मेरा सवाल
उसे और बैचेन ना कर दे
उसको सजते सावरतें देखा नही कभी
लेकीन आज वह खुदको ऐसे निहार रही है जैसे
नजर भर से ही खुदको सवार रही है....
अपने हाथ को बार बार स्पर्श कर रही है...
मानो एहसास को मुठ्ठी मे कैद कर रही है....
जाते देखा उसको अपने सपनें के पास
उसके कदम जमीं पर तो थे लेकीन
उसका मन शितल हवा मे उड्डान भर रहा था
धड़कने उसकी हवा मे गित गा रही थी.....
इतना खूश तो मैने उस कलीं को होते देखा है....
जो सुरज की किरणें पाने से खुदको
मुक्कमल कर लेती है.....
लगता है वह अपनें सपनों के बहूत करीब है....
उसकी सांसे इतनी तेज है कीं
अगर उसका स्पर्श नहीं मिला तो शरीर से
दम निकल जाए औंर रुह इतनी तेज रोशनी में
गुम हो जाए की अपनी ही रुह पेहचान मे ना आए....


अब इस अनुभव कों कैंसे जाहीर करू.....

आज जिंदगी को जिंदगी से मिलते देखा मैने....🌊🥰

स्वप्नकवी.....✍🏻✍🏻🌱🌊📚


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